विचारो की अभिव्यक्ति के लिए आप सभी को धन्यवाद आप सभी के विचार ही मुझे प्रोत्साहित करते है!....

मंगलवार, 17 मई 2011

ना ना कहने की आदत

इस संसार मे बढे बुजुर्ग कहते है कि सभी कि बातो को मानना चाहिए , और यह बात भी सही है कि हमे सभी लोगो का आदर करते हुए उनकी बातो को मानना चाहिए व आवश्यकता के अनुसार उस पर अमल भी करना चाहिए यह एक सभ्य व्यक्ति कि निसानी है ! लेकिन कभी कभी हमारी यहि आदत हमारे लिए परेसानी का न्योता लेकर आती है उस परस्तिथि मे व्यक्ति अगले को एक बार तो हाँ कह देता है लेकिन दुसरी समस्या होने के कारण व्यक्ति असमंजश कि स्तिथि मे आ जाता है कि अब वो उसे ना नही कह सकता ,इसी कारण से व्यक्ति तनाव कि स्तिथि मे पहुँच जाता है व अपनी मानसिक अस्थिरता के कारण चिन्ता मग्न होकर किसी भी कार्य को पूर्ण रुप से नही कर पता है !
क्योंकी अब उसे यह चिन्ता रहती है कि वह उस व्यक्ति को क्या जबाब देगा उस परिस्त्थी मे व्यक्ति कि स्तिथि उसी प्रकार हो जति है जैसे
" धोबी का कुता न घर का ना घाट का "
अतः मनुष्य को कभी कभी ना कहने कि भी आदत डाल लेनी चाहिए तथा यह चिन्ता नही करनी चाहिए कि अग्ली व्यक्ति के सामने उसकी क्या छबी रहेगी -क्योंकी अगर जिस व्यक्ति को आपने मना कर दिया वह यदि आपका सच्चा हमदर्द होगा तो वह आपकी परेसानी को अवश्य ही समझेगा !!!!!!!
Mani Bhushan Singh





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