खामोशी एक ऐसा गुण है जिसके कारण इंसान की बर्बादी व् आबादी दोनों ही होती है ,लेकिन आबादी तो बहुत ही कम होती है ,लेकिन बर्बादी ही हमेशा होता है क्योंकि इंसान जब खामोशी को धारण कर लेता है तो लोग उसे उसकी एक कमजोरी समझकर उसका गलत फायदा उठाने लगते है भले ही वो खामोशी हमने उस व्यक्ति को इज्जत देने के लिये ही क्यों न धारण कर रखा हो ! अत: अब मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है की क्या अपनी खामोशी को तोड़ करके हमें उस व्यक्ति को कड़े शब्दों में उत्तर देना चाहिए या अपनी खामोशी को कायम रखना चाहिए लेकिन यदि हम फिर से खामोश रहते है तो वो हमारी एक आदत बन जाती है तथा जिसकी क्षतिपूर्ति हमें सम्पूर्ण जिंदगी करना पड़ता है व् समाज के सभी व्यक्ति उसका निरंतर फायदा उठाना शुरु कर देते है ! अत: रियल तो यही है की खामोशी को हमें तोडना पड़ेगा व् जरुरत पड़ने पर जबाब भी देना पड़ेगा !
Mani Bhushan Singh
Mani Bhushan Singh
जहाँ मुखरता की जरूरत हो वहाँ ख़ामोशी तोडनी ही पड़ती है
जवाब देंहटाएंसुरेन्द्र जी आपका तहे दिल से धन्यवाद जो आपने अपने विचारो की अभिव्यक्ती मेरे लेख पर प्रकट की
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