यदि हम कहते है की हमने सब कुछ जान लिया है तो यह कहना क्या उचित होगा !यदि हम किसी को कहते है मै जो तुम्हे बता रहा हू वही सही है और यह गलत है और वह सही है यह कहना तो उचित नहीं होगा आखिर में हम उसे किस पैमाने पर नाप कर या किसी मानक स्तर को मानकर यह सब बाते उसे कह रहे है ! क्योंकी हमारी एक मानसिक अवधारणा बन चुकी है की हमने जो ज्ञान प्राप्त किया है वह पर्याप्त है और वही सही है! और उसी के आधार पर हम अपना ज्ञान बाटकर किसी को सही तो किसी को गलत कह रहे है ! लेकिन क्या हम कभी उस सक्श से ये कभी पुछते है कि आपने ऐसा क्यो किया! नही क्योंकी यदि हम उससे ये सवाल पुछते है हमारा ज्ञान जो कि एक अभिमान का रुप ले चुका है उसे कभी स्वीकार नही करने देगा और कोई निश्चित तो नही जो आपने ज्ञान प्राप्त किया है वाहि अन्त है और बस उसके बाद और कुछ नही ! लेकिन यह कहना सर्वथा अनुचित है क्योंकी इस जगत मे कोई ऐसा नही है जो एक सिमित या मानक स्तर कि परिभाषा दे सके ! क्योकी हर इन्सान मे कमिया व खुबिया दोनो ही होती है व इस समाज मे कमियो को सामने लाने के लिए किसी सहारे कि जरुरत नही होती है ,लेकिन खुबिओ को सामने लाने के लिए उचित मार्गदर्शन कि जरुरत होती है !लेकिन यह सब शायद ही सम्भव हो पाता है क्योंकी इसके कई कारण है जो यह सम्भव नही होने देते और यह एक सच्चाई भी है जिसे हम स्वीकार करे या ना करे लेकिन यह हमारे समाज मे आज भी है व आगे भी रहेगा ! अत: यदि हम स्वयम के स्वार्थ को भुलाकर यदि सच्चे मन से सहायता करे तो किसी के प्रति किसी के मन मे हीन भावना उत्पन नही होगी ! व ज्ञान का स्तर भी बडेगा !
साथ ही मे यह भी कहना चाहुंगा कि ऐसा भी नही है कि कोई ज्ञान का अर्गन करने वाले से पुछता नही है अवश्य पुछते है लेकिन कभी -कभी कंही -कंही पर ही जो कि जो कि नगण्य है !!
Mani Bhushan Singh
aapki bat ek dam sahi hai aabhar aapka.
जवाब देंहटाएंकृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें! टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी
जवाब देंहटाएंवर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को NO करें ..Save करें .. हो गया
आदमी हमेसा कुछ न कुछ सीखता ही रहता है बचपन से बुढ़ापे तक फिर भी पूरा ज्ञान अर्जित नहीं कर पता है| धन्यवाद|
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