विचारो की अभिव्यक्ति के लिए आप सभी को धन्यवाद आप सभी के विचार ही मुझे प्रोत्साहित करते है!....

गुरुवार, 2 जून 2011

मेरा अपना प्यारा गांव


छोटा सा मगर सबसे न्यारा
मेरा अपना प्यारा गांव !
जिसके खेतो मे मै करता
बचपन की अठ्खेलिया !
ताजी हवा जहाँ इठ्लाती थी 
महक दिल मे छोड जाती थी  !
चिडियो का चहचहाना
फुलो का महकना !
आज उसकी याद दिलाता है,
छोटा सा मगर सबसे न्यारा,
मेरा अपना प्यारा गांव !
सौन्धि महक थी जिस मिट्टी की 
रोम रोम मे बस जाती थी !
पुरब की पुरवैया ,
दुध देती गैया 
आज उसकी याद दिलाती है  !
छोटा सा मगर सबसे न्यारा
मेरा अपना प्यारा गांव !
जँहा बिता मेरा बचपन 
बढे बुजुर्गो का पाया प्यार
दादा -दादी  के किस्से 
जिनको सुन मै बड़ा हुआ !
भोर सबेरे खेतो में जाना 
मटर के दानो को 
चोरी करके खाना ,
ये सब मुझे दिलाते है उसकी याद
छोटा सा मगर सबसे न्यारा
मेरा अपना प्यारा गांव !
प्रेम ,समपर्ण,त्याग का भाव 
पाया इसे  मैंने अपने गाँव से

हिन्दु व मुस्लिम  जंहा 
पर रहते दोनों साथ - साथ 
शाम  को होता जंहा अजान
दिन में करते सब माता का गुणगान !
शायद अब ये सब खो गया है!  
ना अब कोई प्रेम से बोलता है 
ना अब कोई किसी को टोकता है! 
सब है अपनी मर्जी  के मालिक 
अब सिर्फ रह गयी तकरार की बारी !
न जाने वो कंहा खो गया है 
छोटा सा मगर सबसे न्यारा
मेरा अपना प्यारा गांव !
इसका कारन कोई न जाने 
शायद हम सब ने मिलकर 
उस सभ्यता को ही मिटा डाली !

   अब तो हर तरफ 
शहर की चकाचौंध है 
अब तो नीला आसमान 
सिर्फ नाम का ही नीला है 
धुए ने उसे बना डाला
 अपना टीला है !
हर तरफ हाहाकार है 
न जाने कौन कौन बीमार है 
बस भाग रहे है भाग रहे है !
न जाने कौन किसके 
पीछे भाग रहे है !
शायद इन् सब में 
मै भी था एक प्रतिभागी 
इस विनाश में बन गया था सहभागी 
दौड़ कर जब मै जब थक गया 
तो हारकर यु  बैठ  गया 
अब करता हू मै अपना विचार 
क्या पाया व् खोया मैंने 
समझ में न आया मेरे !
अब आती मुझे उसकी याद  
छोटा सा मगर सबसे न्यारा
मेरा अपना  सबसे प्यारा गांव !!

Mani Bhushan Singh



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें