विचारो की अभिव्यक्ति के लिए आप सभी को धन्यवाद आप सभी के विचार ही मुझे प्रोत्साहित करते है!....

शुक्रवार, 29 जुलाई 2011

एक बार चिंतन तो कर ले !

आशा व् निराशा दोनों ही एक दुसरे के पूरक शब्द है ! लेकिन इन् दोनों शब्दों का व्याकरण में जितना उपयोग नहीं है उससे ज्यादा हमारे जीवन में इनका अधिक उपयोग है क्योंकि हमारे सम्पूर्ण जीवन की बागडोर इन्ही शब्दों  के आसपास घुमती रहती है !अत : ये एक शब्द न होकर हमारी जिंदगी  का एक अहम् हिस्सा  है  ! जब हम कोई काम तहे दिल से करते है तो हम आगे से ये उमीद भी करते  है की हमें संतोष जनक  जबाब प्राप्त हो लेकिन जब पूरी तरह से काम पूर्ण करने के बावजूद भी उसका सही उत्तर  नहीं मिलता है! तो हम बौखला जाते है तथा निराशा का दामन पकड़ लेते है एव हमारी यही इक्षा  होती है की जब संतोषप्रद जबाब ही नहीं मिल रहा तो ये काम करने  का कोई फायदा ही नहीं ! कई बार हमें क्रोध  भी आता है और कुछ समझ भी नहीं पाते है की आखिर में हमें क्या करना चाहिए ! लेकिन हम कभी ये नहीं सोचते की आखिर  क्या कारण है की हम जिस जबाब की प्रतीक्षा कर रहे थे वो हमें नहीं मिल पा रहा है कंही हमारे द्वारा किय गए कार्य में ही कोई कमी तो नहीं  है ! एव यह स्थिति हर इंसान के जिंदगी में आती  है ! शायद मेरे भी जिंदगी में भी और इसी कारण से शायद मै यह लिख पा रहा हु ! लेकिन जब हम ठन्डे दिमाग से सोचते है तो हमारे सामने दो कारण आते है जिनके बिना हमें संतोषजनक जबाब नहीं मिल पा रहा था ! एक तो यह की हो सकता है शायद हमारे काम में ही कोई कमी रहा गयी हो ! दूसरा कारण यह है की हमारी अपेक्षाए हमारे द्वारा किये गए कर्म से बड़ी हो जाती है ! अत : एक बार तो हमें यह विचार कर ही लेना चाहिए की कंही हम में ही तो कोई कमी नहीं क्योंकि आशा को निराशा बनने में देर नहीं लगती ! अत : हतो उत्साहित न होकर एक बार तो चिंतन जरूर कर ले !! 


Mani Bhushan Singh

8 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और प्रोत्साहित करने के लिए शुक्रिया!
    बहुत बढ़िया लिखा है आपने! उम्दा पोस्ट!

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  2. प्ररक पोस्ट - शुभकामनाएं एवं आशीष

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  3. DR.Monika Sharma ,Babli JI ,Rakesh Kaushik ji आपका तहे दिल से शुक्रिया मेरे ब्लॉग पे आने के लिए और आशीष देने के लिए बहुत बहुत बहुत धन्यवाद !

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  4. मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://www.seawave-babli.blogspot.com/

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  5. बहुत ही बढ़िया लेख बहुत ही अच्छा लगा पढ़ कर!!

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  6. आपने सुन्दर चिंतन प्रस्तुत किया है.

    सुन्दर लेख के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.

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